भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धूप / रेखा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा |संग्रह=चिंदी-चिंदी सुख / रेखा }} <poem> अचानक आ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
04:30, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
अचानक
आँख-मिचौनी खेलते
छिप जाते हो
इस खंडहर-महल में
सांय-सांय हवा-सी
भटकती हूँ तुम्हारी तलाश में
सहसा खुलता है कोई किवाड़
लिपट जाती मुझसे
गुनगुनी धूप
ऐसा ही है
तुम्हारा रूप?