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"सुख / केशव" के अवतरणों में अंतर

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06:16, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

यह जो
तन का सुख है
मन से
कोसों दूर
टिमटिमाता
आदमी के अवतरण से
जीभ लपलपाता

मन का सुख
गाँव में
फेरी वाले की तरह आता

तन का सुख
टिकाऊ
मन का सुख
बिकाऊ
खरीदने की हिम्मत भर
कोई बिरला ही जुटा पाता।