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"सुख / केशव" के अवतरणों में अंतर
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यह जो
तन का सुख है
मन से
कोसों दूर
टिमटिमाता
आदमी के अवतरण से
जीभ लपलपाता
मन का सुख
गाँव में
फेरी वाले की तरह आता
तन का सुख
टिकाऊ
मन का सुख
बिकाऊ
खरीदने की हिम्मत भर
कोई बिरला ही जुटा पाता।