भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लड़की और दोस्त / स्वप्निल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वप्निल श्रीवास्तव |संग्रह=ईश्वर एक लाठी है }} पिछले ...)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=स्वप्निल श्रीवास्तव
 
|रचनाकार=स्वप्निल श्रीवास्तव
|संग्रह=ईश्वर एक लाठी है
+
|संग्रह=ईश्वर एक लाठी है / स्वप्निल श्रीवास्तव
 
}}
 
}}
  

08:28, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण


पिछले दस वर्षों से दोस्त के लिए

इन्तज़ार कर रही है लड़की

लड़की जो दोस्त की नींद में बुनती है सपने

दोस्त उन सपनों को तहाकर रख लेता है अपनी

याददाश्त में और दिन भर मुस्कराता रहता है

लड़की नित्य दोस्त के लिए भेजती है सपने

सपनों के साथ अपनी मादक मुस्कानें

अपना चिर-परिचित प्यार

दोस्त की जेब टटोली जाए

तो ज़रूर मिलेगी पैन की तरह मौज़ूद लड़की


पिछले दस वर्षों से दोस्त बन गया है पहाड़

और लड़की एक शीतल जल-प्रपात

लोग कितने अबोध हैं

नित्य आसमान की तरफ़ उठते हुए

पहाड़ को नहीं देख पा रहे हैं


और लड़की उसी पहाड़ पर

आग की तरह जल रही है

पहाड़ को बनाते हुए जीवन्त