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08:49, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
ग़ुलामी
आज़ादी तक
घटती रही
हमारे ऊपर
आज़ादी
ग़ुलामी की तरह
आज भी घट रही है
बहुत बड़ी घटना है
आज़ादी
जिसके संवैधानिक
इतिहास में
धीरे-धीरे
लुप्त होते रहे हम ।
या जीवित रहे छोटी-छोटी घटनाओं में ।
सबके साथ चिपके
सन्नाटे को चीरना
पेड़ कटने के
बाद की घटना है ।
सुनसान में
संवाद करती
नदी को बाँधना
गाँवों के बेघर होने के
बाद की घटना है ।
घटनाओं के नीचे
कसमसा रही
घटनाओं के
हहराते दर्द को
शब्दों में समेटना
अनुभव के बाद की
घटना है ।