भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुबह / राजा खुगशाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=राजा खुगशाल
 
|रचनाकार=राजा खुगशाल
|संग्रह=संवाद के सिलसिले में
+
|संग्रह=संवाद के सिलसिले में / राजा खुगशाल
 
}}
 
}}
  

08:53, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

तीन औरतें नदी में

साथ-साथ नहा र्ही हैं


एक लड़की खेत में

मिट्टी के ढेले फोड़ रही है


एक आदमी बैलों के

नथुने कस रहा है


झुंड की घनी और

ऊँची घास में से

उग रहा है सूरज