भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दोस्त के लिए (दो) / राजा खुगशाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजा खुगशाल |संग्रह=संवाद के सिलसिले में }} हाँ में हाँ ...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=राजा खुगशाल | |रचनाकार=राजा खुगशाल | ||
− | |संग्रह=संवाद के सिलसिले में | + | |संग्रह=संवाद के सिलसिले में / राजा खुगशाल |
}} | }} | ||
08:55, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
हाँ में हाँ नही
ना कहने की
यातना भुगत रहे हो !
असहमति
तुम्हें ज़िन्दा रखे है
दोस्त
तुम वक़्त की दौड़ के लिए
मैदान की तरह बिछे हो
लोगों के लिए
हमसे जो बेहतर आएंगे कल ।