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"पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

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पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।
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पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।< br >
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥
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वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥< br >
जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।
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जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।< br >
खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥
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खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥< br >
सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।
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सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।< br >
'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥
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'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥< br >

19:22, 16 अगस्त 2006 का अवतरण

कवि: मीराबाई

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पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।< br > वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥< br > जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।< br > खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥< br > सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।< br > 'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥< br >