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"दुर्दिनों में कविता-3 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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09:18, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण

हाथ जोड़े हुए दूर से मुस्कराते हैं आप

हृदय में उठती है आंधी कहने के लिए

नमस्कार... नमस्कार...


किसी अदृश्य की तरह देखते हुए आपको

आपके बग़ल से गुज़र जाता है

राजधानियों के संवेदनशील कवियों का गिरोह

किसी कविता की कतिपय करुण पंक्ति पर

मगन मन मूंड हिलाता