भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुप-चुप / केशव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:32, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

बहुत चुप् हो
इसलिए
चुप हैं
हम भी ।

कहाँ बरस रहे हैं बादल
गुपचुप ?