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"गमछा / स्वप्निल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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22:50, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
फसलें कट चुकी हैं
किसी मजूर का पसीने से
तरबतर गमछा यहाँ
छूटा हुआ है
उसका लड़का ढूंढ्ते हुए
यहाँ आएगा
पसीने की गंध से
पहचान जाएगा कि यह
उसके बाप का गमछा है