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"धर्म / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर
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23:38, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण
तेज़ी से एक दर्द
मन में जागा
मैंने पी लिया,
छोटी सी एक ख़ुशी
अधरों में आई
मैंने उसको फैला दिया,
मुझको सन्तोष हुआ
और लगा –
हर छोटे को
बड़ा करना धर्म है ।