"जो सच में महान थे / स्तेफान स्पेन्डर" के अवतरणों में अंतर
छो |
छो |
||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
अमर बसंत के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार | अमर बसंत के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार | ||
हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए, | हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए, | ||
− | सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनंद को | + | कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनंद को |
− | ना ही इसकी शाम की प्रेम की गंभीर | + | ना ही इसकी शाम की प्रेम की गंभीर मांग को। |
यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना | यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना | ||
शोर से और धुंध से इस जीवट का पनपना। | शोर से और धुंध से इस जीवट का पनपना। |
01:25, 8 फ़रवरी 2009 का अवतरण
मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे
मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे।
जिन्होंने, गर्भ से, आत्मा के इतिहास को याद किया
रोशनी के गलियारों से होते हुए जहाँ घंटे सूरज होते हैं
अंतहीन और गाते हुए, जिनकी खूबसूरत महत्वाकांक्षा
थी कि उनके होंठ, अब भी आग की तपन से लैस,
सिर से पैर तक गीत पहने उस जीवट की बात कहें
और जिन्होंने बसंत की शाखों से जमा कर लीं
चाहतें जो उसके शरीर पर फैली थीं मंजरियों जैसे
बेशकीमत है कभी न भूलना
अमर बसंत के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार
हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए,
कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनंद को
ना ही इसकी शाम की प्रेम की गंभीर मांग को।
यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना
शोर से और धुंध से इस जीवट का पनपना।
बर्फ़ के पास, सूरज के पास, सबसे ऊंचे मैदानों में
देखो कैसे इन नामों का सम्मान हो रहा है लहराती घास द्वारा
और सफ़ेद बादलों की नावों के द्वारा
और ध्यान से सुन रहे आकाश में हवा की फुसफुसाहट द्वारा
जिन्होंने अपने दिल मे रखा आग के मरकज़ को,
सूरज से जन्मे वे कुछ समय सूरज की तरफ ही चल पड़े,
और चंचल हवा पर अपने मान के हस्ताक्षर छोड़ गए।
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य