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तने में गड़ी
 
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कंटीली बाड़ से कहता है पेड़-
 
कंटीली बाड़ से कहता है पेड़-
 
 
कहां तक छलोगी
 
कहां तक छलोगी
 
 
बहुत गहरा है मेरा सब्र
 
बहुत गहरा है मेरा सब्र
 
 
पेड़ से पूछती है बाड़
 
पेड़ से पूछती है बाड़
 
 
सुनी नहीं क्या तुमने राजाज्ञा
 
सुनी नहीं क्या तुमने राजाज्ञा
 
 
इस देश और उस देश की सीमा पर
 
इस देश और उस देश की सीमा पर
 
 
कंटीली बाड़ लगाई जाएगी-
 
कंटीली बाड़ लगाई जाएगी-
 
 
जहां से भी गुजरा है
 
जहां से भी गुजरा है
 
 
राजा का अश्वमेधी घोड़ा
 
राजा का अश्वमेधी घोड़ा
 
 
धरती ने पेश किया है
 
धरती ने पेश किया है
 
 
दो टूक कलेजा
 
दो टूक कलेजा
 
 
तुम ही क्यों तने हो
 
तुम ही क्यों तने हो
 
 
निषेध बनकर?
 
निषेध बनकर?
 
 
तने में गड़ी बाड़ से
 
तने में गड़ी बाड़ से
 
 
कहता है पेड़-
 
कहता है पेड़-
 
 
मेरे शरीर को छीलकर
 
मेरे शरीर को छीलकर
 
 
निकल जाओ तुम
 
निकल जाओ तुम
 
 
पर ऊध्र्वगामी शाखाओं जैसा
 
पर ऊध्र्वगामी शाखाओं जैसा
 
 
मेरा व्यापक चिंतन
 
मेरा व्यापक चिंतन
 
 
मिट्टी के पोर सहलाती
 
मिट्टी के पोर सहलाती
 
 
मेरे ममत्व की जड़ें
 
मेरे ममत्व की जड़ें
 
 
बदल सकती नहीं
 
बदल सकती नहीं
 
 
को राजाज्ञा
 
को राजाज्ञा
 
 
इनके विस्तार की दिशा।
 
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02:55, 8 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण


तने में गड़ी
कंटीली बाड़ से कहता है पेड़-
कहां तक छलोगी
बहुत गहरा है मेरा सब्र
पेड़ से पूछती है बाड़
सुनी नहीं क्या तुमने राजाज्ञा
इस देश और उस देश की सीमा पर
कंटीली बाड़ लगाई जाएगी-
जहां से भी गुजरा है
राजा का अश्वमेधी घोड़ा
धरती ने पेश किया है
दो टूक कलेजा
तुम ही क्यों तने हो
निषेध बनकर?
तने में गड़ी बाड़ से
कहता है पेड़-
मेरे शरीर को छीलकर
निकल जाओ तुम
पर ऊध्र्वगामी शाखाओं जैसा
मेरा व्यापक चिंतन
मिट्टी के पोर सहलाती
मेरे ममत्व की जड़ें
बदल सकती नहीं
को राजाज्ञा
इनके विस्तार की दिशा।