भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चेतावनी / प्रफुल्ल कुमार परवेज़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रफुल्ल कुमार परवेज़ |संग्रह=संसार की धूप / प्र...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:19, 8 फ़रवरी 2009 का अवतरण
नकारते नहीं तुम
समर्थन की मुद्रा में
हिलाते हो सिर
जिसका मक़सद
सहमति भी नहीं होता
तुम्हारी भीड़ में
अकेला होता है आदमी
गवाही के ऐन मौके पर
तुम्हारी आँख
हो जाती है पीठ
तुम्हारा एक
से मिलकर
ग्यारह नहीं होता
यह अलग बात है
तुम्हारे एक से निरंतर
तक़्सीम होता है आदमी
सिफ़र नहीं होता
तुम सदैव होते हो वहाँ
जहाँ मिलाया जा सकता है एक हाथ उजाले से
दूसरे हाथ से अँधेरे को आश्वस्त
करवाया जा सकता है ओ भाई समझदार
तुम्हारे हाथों हो रही है पैनी
जिस हथियार की धार
तुमको भी काटेगी
अब की नहीं तो अगली बार
ख़बरदार-ख़बरदार