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"कौन आया रास्ते आईनाख़ाने हो गये / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फेंक दो | जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फेंक दो | ||
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मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन हैं | मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन हैं |
08:08, 10 फ़रवरी 2009 का अवतरण
कौन आया रास्ते आईनाख़ाने हो गए
रात रौशन हो गई दिन भी सुहाने हो गए
क्यों हवेली के उजड़ने का मुझे अफ़सोस हो
सैकड़ों बेघर परिंदों के ठिकाने हो गए
ये भी मुमकिन है के उसने मुझको पहचाना न हो
अब उसे देखे हुए कितने ज़माने हो गए
जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फेंक दो
वो अगर ये कह रहें हो हम पुराने हो गए
मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन हैं
उनकी आँखों से गिरे मोती के दाने हो गए