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"नृत्य के बाद / मधुप कुमार" के अवतरणों में अंतर
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आधी रात का जलवा समर्पित हो रहा है
उसकी साधना को
इन्द्रजाल जैसे उसके वितानों ने साध ली है
परिचय की दूरियाँ
मेरी अन्तःपरिधि पर अंकित है
उसके चिन्ह
वह नैसर्गिक हो चली है।