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− | + | उस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था । | |
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− | + | पर आँखों का। सब कहते हैं कि प्रेस छली है, | |
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− | + | छोटी न थी । यहाँ भी देखा, कहीं त्रिलोचन | |
− | + | नहीं । तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन | |
− | + | कान पक गये थे, मैं ऐसा बैठाठाला | |
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− | + | देख रहा हूँ, किसी जगह उल्लेख नहीं है, | |
− | + | तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है । | |
− | + | तुम सागर लांघोगे? – डरते हो चहले से । | |
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00:32, 13 फ़रवरी 2009 का अवतरण
प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है
उस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था ।
आँखें फाड़-फाड़ कर देखा, दोष नहीं था
पर आँखों का। सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
शुद्धिपत्र देखा, उसमें नामों की माला
छोटी न थी । यहाँ भी देखा, कहीं त्रिलोचन
नहीं । तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन
कान पक गये थे, मैं ऐसा बैठाठाला
नहीं, तुम्हारी बकझक सुना करूँ । पहले से
देख रहा हूँ, किसी जगह उल्लेख नहीं है,
तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है ।
तुम सागर लांघोगे? – डरते हो चहले से ।
बड़े बड़े जो बात कहेंगे, सुनी जायगी
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जायगी।