भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हादसा /अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमृता प्रीतम |संग्रह= }} Category:कविता <poem> बरसों की आ...)
(कोई अंतर नहीं)

14:09, 13 फ़रवरी 2009 का अवतरण

 

बरसों की आरी हंस रही थी
घटनाओं के दांत नुकीले थे
अकस्मात एक पाया टूट गया
आसमान की चौकी पर से
शीशे का सूरज फिसल गया

आंखों में ककड़ छितरा गये
और नजर जख्मी हो गयी
कुछ दिखायी नहीं देता
दुनिया शायद अब भी बसती है