भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के उपर ऊपर उभर आयींआईं
केसर की लकीरें
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गयीगई,हमारी दोनो दोनों की तकदीरें
<poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits