भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं होदरवाज़े पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~सिमटी हुई शर्माई हुई रात की रानीसोई हुई कलियों की हया तुम तो नहीं हो
सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ महसूस किया तुम को तो नहीं हो <br>गीली हुई पलकेंदरवाज़े पे दस्तक भीगे हुये मौसम की सदा अदा तुम तो नहीं हो<br><br>
सिमटी हुई शर्माई हुई रात की रानी<br>सोई हुई कलियों की हया तुम तो नहीं हो<br><br> महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें<br>भीगे हुये मौसम की अदा तुम तो नहीं हो<br><br> इन अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा<br>किस ने मुझे यूँ अपना कहा तुम तो नहीं हो<br><br/poem>