"भारत माता का मंदिर यह / मैथिलीशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मैथिलीशरण गुप्त }} <poem> भारत माता का मंदिर यह समता ...) |
|||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
रेखाएँ प्रस्तुत हैं, अपने | रेखाएँ प्रस्तुत हैं, अपने | ||
मन के चित्र बना लें हम । | मन के चित्र बना लें हम । | ||
+ | सौ-सौ आदर्शों को लेकर | ||
+ | एक चरित्र बना लें हम । | ||
+ | बैठो माता के आँगन में | ||
+ | नाता भाई-बहन का | ||
+ | समझे उसकी प्रसव वेदना | ||
+ | वही लाल है माई का | ||
+ | एक साथ मिल बाँट लो | ||
+ | अपना हर्ष विषाद यहाँ | ||
+ | सबका शिव कल्याण यहाँ है | ||
+ | पावें सभी प्रसाद यहाँ । | ||
+ | |||
+ | |||
+ | मिला सेव्य का हमें पुज़ारी | ||
+ | सकल काम उस न्यायी का | ||
+ | मुक्ति लाभ कर्तव्य यहाँ है | ||
+ | एक एक अनुयायी का | ||
+ | कोटि-कोटि कंठों से मिलकर | ||
+ | उठे एक जयनाद यहाँ | ||
+ | सबका शिव कल्याण यहाँ है | ||
+ | पावें सभी प्रसाद यहाँ । | ||
</poem> | </poem> |
16:20, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण
भारत माता का मंदिर यह
समता का संवाद जहाँ,
सबका शिव कल्याण यहाँ है
पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
जाति-धर्म या संप्रदाय का,
नहीं भेद-व्यवधान यहाँ,
सबका स्वागत, सबका आदर
सबका सम सम्मान यहाँ ।
राम, रहीम, बुद्ध, ईसा का,
सुलभ एक सा ध्यान यहाँ,
भिन्न-भिन्न भव संस्कृतियों के
गुण गौरव का ज्ञान यहाँ ।
नहीं चाहिए बुद्धि बैर की
भला प्रेम का उन्माद यहाँ
सबका शिव कल्याण यहाँ है,
पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
सब तीर्थों का एक तीर्थ यह
ह्रदय पवित्र बना लें हम
आओ यहाँ अजातशत्रु बन,
सबको मित्र बना लें हम ।
रेखाएँ प्रस्तुत हैं, अपने
मन के चित्र बना लें हम ।
सौ-सौ आदर्शों को लेकर
एक चरित्र बना लें हम ।
बैठो माता के आँगन में
नाता भाई-बहन का
समझे उसकी प्रसव वेदना
वही लाल है माई का
एक साथ मिल बाँट लो
अपना हर्ष विषाद यहाँ
सबका शिव कल्याण यहाँ है
पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
मिला सेव्य का हमें पुज़ारी
सकल काम उस न्यायी का
मुक्ति लाभ कर्तव्य यहाँ है
एक एक अनुयायी का
कोटि-कोटि कंठों से मिलकर
उठे एक जयनाद यहाँ
सबका शिव कल्याण यहाँ है
पावें सभी प्रसाद यहाँ ।