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"नौ सपने / भाग 6 / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर
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21:17, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण
आषाढ़ का महीना –
स्वाभाविक तृप्ता की नींद खुली
ज्यों फूल खिलता है,
ज्यों दिन चढ़ता है
"यह मेरी ज़िन्दगी
किन सरोवरों का पानी
मैंने अभी यहाँ
एक हंस बैठता हुआ देखा
यह कैसा सपना?
कि जागकर भी लगता है
मेरी कोख में
उसका पंख हिल रहा है..."
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