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"ज़िंदा हूँ इस तरह कि गम-ए-ज़िंदगी नहीं / बहज़ाद लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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लेकिन ये दिल की आग, अभी तक बुझी नहीं | लेकिन ये दिल की आग, अभी तक बुझी नहीं | ||
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आने को आ चुका था किनारा भी सामने | आने को आ चुका था किनारा भी सामने | ||
− | + | ख़ुद उसके पास, मेरी ही नैया गई नहीं | |
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होठों के पास आए हँसी , क्या मज़ाल है | होठों के पास आए हँसी , क्या मज़ाल है | ||
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− | ये चाँद, ये हवा, ये फ़िज़ा, सब है मंद मंद | + | ये चाँद, ये हवा, ये फ़िज़ा, सब है मंद-मंद |
जो तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं | जो तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं | ||
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20:39, 15 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
ज़िंदा हूँ इस तरह, कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ, मगर रोशनी नहीं
वो मुद्दते हुईं हैं किसी से जुदा हुए
लेकिन ये दिल की आग, अभी तक बुझी नहीं
आने को आ चुका था किनारा भी सामने
ख़ुद उसके पास, मेरी ही नैया गई नहीं
होठों के पास आए हँसी , क्या मज़ाल है
दिल का मुआमला है, कोई दिल्लगी नहीं
ये चाँद, ये हवा, ये फ़िज़ा, सब है मंद-मंद
जो तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं