भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पहला चुंबन / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी }} <poem> एक जीवित पत्थर की दो पंक्तिया...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:41, 16 फ़रवरी 2009 का अवतरण
एक जीवित पत्थर की दो पंक्तियाँ
रक्ताभ, उत्सुक
काँपकर जुड़ गई
मैंने देखा :
मैं फूल खिला सकता हूँ।
(1960)