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"ऎसा क्यों होता है?-4 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर
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ऎसा क्यों होता है-
कि कवि तो
परदे के खिलाफ़
होता है
लेकिन
उसकी कविता
बिना घूँघ्हट के
बाहर
क़दम तक नहीं रखती