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"ऎसा क्यों होता है?-4 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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लेकिन
 
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उसकी कविता
 
उसकी कविता
बिना घूँघ्हट के
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01:28, 16 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

ऎसा क्यों होता है-
कि कवि तो
परदे के खिलाफ़
होता है

लेकिन
उसकी कविता
बिना घूँघट के
बाहर
क़दम तक नहीं रखती