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"ऎसा क्यों होता है?-7 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर
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ऎसा क्यों होता है-
कि कविता लिखते वक़्त
जो कवि
अपने ही शब्दों में
तीसमार खाँ
दिखता है
वही कवि
बाद में
उसी कविता के
शब्दों के बीच
मरी मक्खी-सा
पाया जाता है