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− | [[चित्र:vinay-prajapati.png|frame|[[विनय प्रजापति 'नज़र']]]]साधारण जीवनशैली वाला सरल व्यक्ति हूँ। लखनऊ (अवध) में पैदा हुआ और पला-बढ़ा सो उर्दू का नसों में नशा-सा है। अंग्रेज़ी (आंग्ल भाषा) से कोई ख़ास परहेज़ नहीं है लेकिन मातृभाषा हिन्दी को | + | [[चित्र:vinay-prajapati.png|frame|[[विनय प्रजापति 'नज़र']]]]साधारण जीवनशैली वाला सरल व्यक्ति हूँ। लखनऊ (अवध) में पैदा हुआ और पला-बढ़ा सो उर्दू का नसों में नशा-सा है। अंग्रेज़ी (आंग्ल भाषा) से कोई ख़ास परहेज़ नहीं है लेकिन मातृभाषा हिन्दी को महत्त्व देना मेरी आदत में शुमार है। शिक्षा का प्रमुख क्षेत्र इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन है। मेरी कविताएँ मेरे व्यक्तित्व एवं सोच का आइना हैं। ख़ाली समय में प्यार, दर्द, दुख, विरह, मौसम, पर्यावरण, अकेलेपन, आदि विषय पर कविताएँ लिखता हूँ। कभी-कभी अपनी खुली आँखों के सपनों में रंग भरना पसंद करता हूँ यानि चित्रकारी करता हूँ। पंतग उड़ाना पसंद है पर व्यस्त जीवनशैली ने मेरी इस इच्छा पर बंदिश कर रखी है।<br /><br />आप मेरी रचनाएँ निम्नलिखित निजी चिट्ठों पर पढ़ सकते हैं।<br />[http://vinayprajapati.wordpress.com तख़लीक़-ए-नज़र]<br />[http://prajapativinay.blogspot.com चाँद, बादल और शाम]<br />[http://pinkbuds.blogspot.com गुलाबी कोंपलें]<br /><br />हिन्दी कविता कोश पर आने का कारण है इसकी लाजवाब गुणवत्ता और शब्दों की शुद्धता, सो इसे और प्रगाढ़ करना चाह रहा हूँ।<br /><br />--[[सदस्य:विनय प्रजापति|विनय प्रजापति]] ०२:४६, २८ दिसम्बर २००८ (UTC) |
01:44, 16 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
साधारण जीवनशैली वाला सरल व्यक्ति हूँ। लखनऊ (अवध) में पैदा हुआ और पला-बढ़ा सो उर्दू का नसों में नशा-सा है। अंग्रेज़ी (आंग्ल भाषा) से कोई ख़ास परहेज़ नहीं है लेकिन मातृभाषा हिन्दी को महत्त्व देना मेरी आदत में शुमार है। शिक्षा का प्रमुख क्षेत्र इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन है। मेरी कविताएँ मेरे व्यक्तित्व एवं सोच का आइना हैं। ख़ाली समय में प्यार, दर्द, दुख, विरह, मौसम, पर्यावरण, अकेलेपन, आदि विषय पर कविताएँ लिखता हूँ। कभी-कभी अपनी खुली आँखों के सपनों में रंग भरना पसंद करता हूँ यानि चित्रकारी करता हूँ। पंतग उड़ाना पसंद है पर व्यस्त जीवनशैली ने मेरी इस इच्छा पर बंदिश कर रखी है।आप मेरी रचनाएँ निम्नलिखित निजी चिट्ठों पर पढ़ सकते हैं।
तख़लीक़-ए-नज़र
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
हिन्दी कविता कोश पर आने का कारण है इसकी लाजवाब गुणवत्ता और शब्दों की शुद्धता, सो इसे और प्रगाढ़ करना चाह रहा हूँ।
--विनय प्रजापति ०२:४६, २८ दिसम्बर २००८ (UTC)