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"कहकहों की तरह चटक पत्ते / रवीन्द्रनाथ त्यागी" के अवतरणों में अंतर

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00:25, 17 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

कहकहों की तरह चटक पत्ते पेड़ ने पहिने
पीले फूलों के खेत में खड़ा हो गया
दिन का हरिण

छींट का रुमाल जेब में रखे
किसी रईसजादे की तरह
बसन्त निकल पड़ा

रात कोई जंगलों में हँसा।