भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पनघट / रवीन्द्रनाथ त्यागी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवीन्द्रनाथ त्यागी |संग्रह= }} <poem> ग्राम अलका अप्...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:11, 17 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

ग्राम अलका अप्सराएँ
पनघट पर नीर भरे!

सुन्दर सजीले अंग
अचल हिले खुले पंख
वस्त्र कसे, करे व्यंग्य
अधर रस बूंद भरे!

अचल हिलाता मारूत
धीरे-धीरे बजे नुपुर

उर-उर में मधुर
अंग में उमंग भरे!

मधुर हास स्नेह सने
खींच वारि कर थमे,

घूंघट तूणीर, तने-
नयनों के बाण चले!

आर्द्र-द्रुम छाया सघन
नभ नील-उज्ज्वल घन

हँसती-सी मलयज पवन
पुष्पों के पंख हिले!

उच्च नील शैल झलक
देता, आ घट में छलक
होती फिर हास किलक
काम कल चाप धर!

विहँस उड़ी विहग वधू
नीड़ चलीं ग्राम वधू
प्राणों की वीणा में
जीवन का राग भरे।