"माशा के लिए / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर
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'''(माशा= कवि की युवा पत्नी मरीया का प्यार भरा उपनाम) | '''(माशा= कवि की युवा पत्नी मरीया का प्यार भरा उपनाम) | ||
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मैं तुम्हें प्रकृति से अधिक चाहता हूँ | मैं तुम्हें प्रकृति से अधिक चाहता हूँ | ||
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हालाँकि तुम ख़ुद हो प्रकृति की वादी | हालाँकि तुम ख़ुद हो प्रकृति की वादी | ||
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मैं तुम्हें स्वतन्त्रता से अधिक चाहता हूँ | मैं तुम्हें स्वतन्त्रता से अधिक चाहता हूँ | ||
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तुम्हारे बिना, जेल लगती है आज़ादी | तुम्हारे बिना, जेल लगती है आज़ादी | ||
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मैं तुम्हें प्यार करता हूँ असावधान | मैं तुम्हें प्यार करता हूँ असावधान | ||
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अदृश्य हो जाना चाहता हूँ बिना छोड़े निशान | अदृश्य हो जाना चाहता हूँ बिना छोड़े निशान | ||
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मैं तुम्हें प्यार करता हूँ जितना सम्भव है | मैं तुम्हें प्यार करता हूँ जितना सम्भव है | ||
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उससे भी कहीं अधिक जो असम्भव है | उससे भी कहीं अधिक जो असम्भव है | ||
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मैं चाहता हूँ तुम्हें--असीमित और लगातार | मैं चाहता हूँ तुम्हें--असीमित और लगातार | ||
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नशे में, नाराज़गी में भी, तुम्हें करता हूँ प्यार | नशे में, नाराज़गी में भी, तुम्हें करता हूँ प्यार | ||
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ख़ुद से अधिक चाहता हूँ तुम्हें, यह सच है | ख़ुद से अधिक चाहता हूँ तुम्हें, यह सच है | ||
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उससे भी अधिक जितने पर मेरा वश है | उससे भी अधिक जितने पर मेरा वश है | ||
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मैं अनुरागी हूँ शेक्सपीयर से भी अधिक तुम्हारा | मैं अनुरागी हूँ शेक्सपीयर से भी अधिक तुम्हारा | ||
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इस धरती के पूरे सौन्दर्य को, मैंने तुम पर वारा | इस धरती के पूरे सौन्दर्य को, मैंने तुम पर वारा | ||
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दुनिया भर के संगीत से अधिक तुम मुझे प्यारी | दुनिया भर के संगीत से अधिक तुम मुझे प्यारी | ||
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किताबें, कला और संगीत, अब तुम ही हो हमारी | किताबें, कला और संगीत, अब तुम ही हो हमारी | ||
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मैं तुम्हें चाहता हूँ बहुत, पर ख्याति उतनी नहीं | मैं तुम्हें चाहता हूँ बहुत, पर ख्याति उतनी नहीं | ||
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भविष्य की भी कीर्ति, मुझे भाती उतनी नहीं | भविष्य की भी कीर्ति, मुझे भाती उतनी नहीं | ||
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ज़ंग लगी महाशक्ति से अधिक हो, तब भी | ज़ंग लगी महाशक्ति से अधिक हो, तब भी | ||
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क्योंकि मेरी मातृभूमि तुम ही हो, वह नहीं | क्योंकि मेरी मातृभूमि तुम ही हो, वह नहीं | ||
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तुम अभागी हो ? सहभागिता चाहती हो ? | तुम अभागी हो ? सहभागिता चाहती हो ? | ||
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अपनी प्रार्थनाओं से तुम प्रभु को क्रोधित नहीं करो | अपनी प्रार्थनाओं से तुम प्रभु को क्रोधित नहीं करो | ||
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मैं तुम्हें सुख से भी अधिक चाहता हूँ, मेरी जान! | मैं तुम्हें सुख से भी अधिक चाहता हूँ, मेरी जान! | ||
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मैं तुम्हें प्रेम से भी अधिक प्रेम करता हूँ, प्राण! | मैं तुम्हें प्रेम से भी अधिक प्रेम करता हूँ, प्राण! | ||
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01:32, 17 फ़रवरी 2009 का अवतरण
(माशा= कवि की युवा पत्नी मरीया का प्यार भरा उपनाम)
मैं तुम्हें प्रकृति से अधिक चाहता हूँ
हालाँकि तुम ख़ुद हो प्रकृति की वादी
मैं तुम्हें स्वतन्त्रता से अधिक चाहता हूँ
तुम्हारे बिना, जेल लगती है आज़ादी
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ असावधान
अदृश्य हो जाना चाहता हूँ बिना छोड़े निशान
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ जितना सम्भव है
उससे भी कहीं अधिक जो असम्भव है
मैं चाहता हूँ तुम्हें--असीमित और लगातार
नशे में, नाराज़गी में भी, तुम्हें करता हूँ प्यार
ख़ुद से अधिक चाहता हूँ तुम्हें, यह सच है
उससे भी अधिक जितने पर मेरा वश है
मैं अनुरागी हूँ शेक्सपीयर से भी अधिक तुम्हारा
इस धरती के पूरे सौन्दर्य को, मैंने तुम पर वारा
दुनिया भर के संगीत से अधिक तुम मुझे प्यारी
किताबें, कला और संगीत, अब तुम ही हो हमारी
मैं तुम्हें चाहता हूँ बहुत, पर ख्याति उतनी नहीं
भविष्य की भी कीर्ति, मुझे भाती उतनी नहीं
ज़ंग लगी महाशक्ति से अधिक हो, तब भी
क्योंकि मेरी मातृभूमि तुम ही हो, वह नहीं
तुम अभागी हो ? सहभागिता चाहती हो ?
अपनी प्रार्थनाओं से तुम प्रभु को क्रोधित नहीं करो
मैं तुम्हें सुख से भी अधिक चाहता हूँ, मेरी जान!
मैं तुम्हें प्रेम से भी अधिक प्रेम करता हूँ, प्राण!