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13:40, 17 फ़रवरी 2009 का अवतरण
बदी को
याद रखने में
मत ख़राब करो समय
भीतर की आज़ादी को यह दिक करता है
बाधा डाले, मन को बाँधे
रुक जाता है हर काम
सहजता में पड़े कठिनाई
मनुष्य रहता है परेशान
नेकी को
रखो तुम याद
मानो इसे प्रभु का प्रसाद
और मित्र-बंधुओं का आशीर्वाद
मैं कहता हूँ
तब काम में मन लगेगा
इधर-उधर कहीं नहीं डिगेगा
और जीवन यह अपना तब
निरन्तर सहज गति से चलेगा