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"कुछ नहीं हो सकता / सुदर्शन वशिष्ठ" के अवतरणों में अंतर

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02:18, 18 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

अब कुछ नहीं हो सकता
गाड़ी खराब है
वह उठता है ड्राइवर एकाएक
नेता भी कहते हैं
हालत खराब है
कुछ नहीं हो सकता
गाड़ी और देश एक हो गये हैं।

आशावान रहते हैं संत
हालांकि बात निराशा की करते हैं
खोजते हैं समाज सुधारक
चंदे की रसीद काटती बार
अब बहुत सी संस्थाएं
ढोती हैं चिंता सूखे की
बाढ़ की भूकंप की
लोग आशंकित हैं कि
हम जो पुराने कपड़ों का दान दे रहे हैं
सरकार की तमाम योजनाओं की तरह
पहुंचेगा भी सही आदमी तक।

बदले हैं भ्रष्टाचार के अर्थ
सिकुड़े हैं ईमान के मायने
चोर कहता है
जब रात खिड़की से घुसा
मालिक जेवर हाथ में लिये खड़ा थाओ।

डॉक्टर कहते हैं
रोग क्रॉनिक हो गया है
कुछ नहीं हो सकता इसका ईलाज।