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"एक और दिन पर सुपरिचित लेखकों/कवियों कि टिप्पणियाँ" के अवतरणों में अंतर

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'''इस संग्रह की लगभग सभी कविताएं पढ़ गया हूँ।
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'''इस संग्रह की लगभग सभी कविताएं पढ़ गया हूँ। अनेक कविताएं बार-बार पढ़ता रहा हूँ। बड़ी मार्मिक, बड़ी जानदार कविताएं लगीं। लम्बी कविताएं फिर से पढूँगा।'''
अनेक कविताएं बार-बार पढ़ता रहा हूँ। बड़ी मार्मिक, बड़ी जानदार कविताएं लगीं। लम्बी कविताएं फिर से पढूँगा।
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मेरी हार्दिक बधाइयां !
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                                                                      '''-भीष्म साहनी'''
  
मेरे हार्दिक बधाइयां!
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'''प्रो. अवतार एनगिल की चुनी हुई कविताओं का यह चयन हर दृष्टि से उत्तम है। भाषा शिल्प के मंजाव और कसाव के साथ-साथ स्मृति, यथार्थ, वर्तमान ओर कल्पना का काव्य कुशल प्रयोग इन्हें हिन्दी के आधुनिक कवियों की अग्रणी पंक्ति में स्थापित करता है। सूक्ष्म और पैनी नज़र से कवि ने इतिहास,मिथक,किंवदंती और रोज़मर्रा को नए-नए संयोजन में रखा है, कवि की रचनाएं विचलित और चकित भी करती हैं।'''
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                                                                '''-गिरधर राठी'''
  
                                                                          -भीष्म साहनी
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'''कविता संग्रह की विषयवस्तु समकालीन मानव-परिवेश से जूझती है जिसे 'एक और दिन' पूरा करने में सुन्दर बिम्बों का उन्मुक्त संसार मिलता है। अलबत्ता कहीं-कहीं आँचलिक प्रतीक कविता का मर्म समझने में व्यवधान अवश्य डालते हैं कुल मिलाकर इन कविताओं में ताज़गी है और अभिनव की तलाश भी'''।                 
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                                                                            '''-डॉ.श्याम सिंह शशि'''
  
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'''आपका संग्रह लगभग पूरा पढ़ गया हूँ बहुत अच्छा लगा। इधर काफी बाहर जाना पड़ा, इसलिए पत्र लिखने में देरी हुई। आपकी कविताएं एक अपने ही रंग और गंध की कविताएं हैं। जीवन के बहुत विरल क्षणों को छूती हैं और विविध जीवन प्रसंगों को  उठाती हैं। निश्चय ही ये हमारे समय की कविता के आंतरिक संसार को ज्यादा बड़ा करती हैं। मन सचमुच बहुत खुश है और इन कविताओं से गुज़रते हुए बहुत ही अच्छा लगा। संग्रह के लिए खूब बधाई'''!
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                                                                  '''-राजेश जोशी'''
  
प्रो. अवतार एनगिल की चुनी हुई कविताओं का यह चयन हर दृष्टि से उत्तम है। भाषा शिल्प के मंजाव और कसाव के साथ-साथ स्मृति, यथार्थ, वर्तमान ओर कल्पना का काव्य कुशल प्रयोग इन्हें हिन्दी के आधुनिक कवियों की अग्रणी पंक्ति में स्थापित करता है। सूक्ष्म और पैनी नज़र से कवि ने इतिहास,मिथक,किंवदंती और रोज़मर्रा को नए-नए संयोजन में रखा है, कवि की रचनाएं विचलित और चकित भी करती हैं।
 
                                                                -गिरधर राठी
 
 
कविता संग्रह की विषयवस्तु समकालीन मानव -परिवेश से जूझती है जिसे 'एक और दिन' पूरा करने में सुन्दर बिम्बों का उन्मुक्त संसार मिलता है। अलबत्ता
 
कहीं-कहीं आँचलिक प्रतीक कविता का मर्म समझने में व्यवधान अवश्य डालते हैं
 
कुल मिलाकर इन कविताओं में ताज़गी है और अभिनव की तलाश भी।                   
 
                                                                            -डॉ.श्याम सिंह शशि
 
 
आपका संग्रह लगभग पूर पढ़ गया हूँ बहुत अच्छा लगा। इधर काफी बाहर जाना पड़ा,इसलिए पत्र लिखने में देरी हुई। आपकी कविताएं एक अपने ही रंग और गंध की कविताएं हैं। जीवन के बहुत विरल क्षणों को छूती हैं और विविध जीवन प्रसंगों को  उठाती हैं। निश्चय ही ये हमारे समय की कविता के आंतरिक संसार को ज्यादा बड़ा करती हैं। मन सचमुच बहुत सचमुच बहुत खुश है और इन कविताओं से गुज़रते हुए बहुत ही अच्छा लगा। संग्रह के लिए खूब बधाई!
 
                                                                  -राजेश जोशी
 
 
 
 
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13:29, 18 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

इस संग्रह की लगभग सभी कविताएं पढ़ गया हूँ। अनेक कविताएं बार-बार पढ़ता रहा हूँ। बड़ी मार्मिक, बड़ी जानदार कविताएं लगीं। लम्बी कविताएं फिर से पढूँगा।
मेरी हार्दिक बधाइयां !
-भीष्म साहनी

प्रो. अवतार एनगिल की चुनी हुई कविताओं का यह चयन हर दृष्टि से उत्तम है। भाषा शिल्प के मंजाव और कसाव के साथ-साथ स्मृति, यथार्थ, वर्तमान ओर कल्पना का काव्य कुशल प्रयोग इन्हें हिन्दी के आधुनिक कवियों की अग्रणी पंक्ति में स्थापित करता है। सूक्ष्म और पैनी नज़र से कवि ने इतिहास,मिथक,किंवदंती और रोज़मर्रा को नए-नए संयोजन में रखा है, कवि की रचनाएं विचलित और चकित भी करती हैं।
-गिरधर राठी

कविता संग्रह की विषयवस्तु समकालीन मानव-परिवेश से जूझती है जिसे 'एक और दिन' पूरा करने में सुन्दर बिम्बों का उन्मुक्त संसार मिलता है। अलबत्ता कहीं-कहीं आँचलिक प्रतीक कविता का मर्म समझने में व्यवधान अवश्य डालते हैं कुल मिलाकर इन कविताओं में ताज़गी है और अभिनव की तलाश भी
-डॉ.श्याम सिंह शशि

आपका संग्रह लगभग पूरा पढ़ गया हूँ बहुत अच्छा लगा। इधर काफी बाहर जाना पड़ा, इसलिए पत्र लिखने में देरी हुई। आपकी कविताएं एक अपने ही रंग और गंध की कविताएं हैं। जीवन के बहुत विरल क्षणों को छूती हैं और विविध जीवन प्रसंगों को उठाती हैं। निश्चय ही ये हमारे समय की कविता के आंतरिक संसार को ज्यादा बड़ा करती हैं। मन सचमुच बहुत खुश है और इन कविताओं से गुज़रते हुए बहुत ही अच्छा लगा। संग्रह के लिए खूब बधाई!
-राजेश जोशी