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"आगमन वसन्त का / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर

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भर लाया हो
 
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दो कम्पित सूरज जैसे
 
दो कम्पित सूरज जैसे
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'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
 
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20:49, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण


धूप खिली थी
और रिमझिम वर्षा
छत पर ढोलक-सी बज रही थी लगातार
सूर्य ने फैला रखी थीं बाहें अपनी
वह जीवन को आलिंगन में भर
कर रहा था प्यार

नव-अरुण की
ऊष्मा से
हिम सब पिघल गया था
जमा हुआ
जीवन सारा तब
जल में बदल गया था

वसन्त कहार बन
बहंगी लेकर
हिलता-डुलता आया ऎसे
दो बाल्टियों में
भर लाया हो
दो कम्पित सूरज जैसे


मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय