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"न दिमाग है कि किसू से हम / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर
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11:54, 19 फ़रवरी 2009 का अवतरण
नि दिमाग है कि किसू से हम,करें गुफ्तगू गम-ए-यार में न फिराग है कि फकीरों से,मिलें जा के दिल्ली दयार में
कहे कौन सैद-ए-रमीद: से,कि उधर भी फिरके नजर करे कि निकाब उलटे सवार है, तिरे पीछे कोई गुबार में
कोई शोल: है कि शरार: है,कि हवा है यह कि सितार: है यही दिल जो लेके गड़ेंगे हम,तो लगेगी आग मजार में