भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लहौल-पुराण / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसी रमण |संग्रह=पृथ्वी की आँच }} <Poem> मैने राजा ग...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसी रमण  
+
|रचनाकार=तुलसी रमण
|संग्रह=पृथ्वी की आँच
+
|संग्रह=पृथ्वी की आँच / तुलसी रमण
 
}}
 
}}
 
 
<Poem>
 
<Poem>
 
मैने राजा गेपंग से मांगी-
 
मैने राजा गेपंग से मांगी-

01:06, 20 फ़रवरी 2009 का अवतरण

मैने राजा गेपंग से मांगी-
पहनने के लिए भेड़ और
खाने के लिए भेड़
स्वाद के लिए
जौ के सत्तू
और मस्ती के लिए
छंग का गिलास

उसने कहा- तथास्तु !

राजा गेपंग से मैने मांगी-
दवा के लिए कुठ की जड़
गाय और
चूल्हे के मुँह के लिए
चंगमा की टहनी
काग़ज़ के लिए
भोज-पत्र का पेड़

उसने सहर्ष कहा- तथास्तु !

मैने लाहौल के
शीर्ष लोक-देवता से
और भी बहुत-कुछ मांगा

उत्तर मिला- तथास्तु !

अंत में मैने
लाहौल के लोगों के लिए मांगा-
भयंकर हिमपात से
थोड़ा सा भय
वर्षा ऋतु में
कटोरी-भर बारिश का पानी
और ताज़ा अख़बार

एकाएक रुक गया
उल्लास में डोलता भव्य चँवर
आदिम-देवता का मुँह बंद था
नियति के द्वार पर
देखने वाला था
उसका चेहरा