भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तीन-पांच सितारा होटल / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: सिर पर मुकुट बांधे यहां का दरबान राजा लगता है और प्रिंस कोट डटाए ब...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=कुमार मुकुल | ||
+ | }} | ||
+ | <poem> | ||
सिर पर मुकुट बांधे | सिर पर मुकुट बांधे | ||
यहां का दरबान | यहां का दरबान | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 24: | ||
यहां से | यहां से | ||
वहां तक ... | वहां तक ... | ||
+ | </poem> |
14:48, 20 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
सिर पर मुकुट बांधे
यहां का दरबान
राजा लगता है
और प्रिंस कोट डटाए बेयरे
लगते हैं
राजकुमारों से
मधुर मुस्कान फेंकती
रिसेप्सनिस्टस
राजकुमारियां लगती हैं
बाकी
वही
अकाटू-बकाटू लोग
दिखते हैं
यहां से
वहां तक ...