"वो शख्स अब मेरा पुराना मकान छोड़े/ मासूम शायर" के अवतरणों में अंतर
Masoomshayer (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | वो शख्स अब मेरा पुराना मकान | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | मेरे दिल से निकले मेरी ये जान | + | |रचनाकार= मासूम शायर |
− | + | }} | |
− | + | [[Category:गज़ल]] | |
− | + | <poem> | |
− | + | वो शख्स अब मेरा पुराना मकान छोड़े | |
− | + | मेरे दिल से निकले मेरी ये जान छोड़े | |
+ | दुश्मनों को मौका तब ही कहीं मिलेगा | ||
+ | मेरी ये जान पहले मेरा मेहरबान छोड़े | ||
मेरी हर एक शह पर क़ब्ज़ा सा किया है | मेरी हर एक शह पर क़ब्ज़ा सा किया है | ||
+ | मेरी ज़मीन छोड़े न वो आसमान छोड़े | ||
− | + | ख़ौफ़ भी दिया मुझे ज़िंदगी भी बख़्शी | |
− | + | सब तीर आजू बाजू मेरे तान तान छोड़े | |
− | + | ||
− | ख़ौफ़ भी दिया मुझे ज़िंदगी भी | + | |
− | + | ||
− | सब तीर आजू बाजू मेरे तान तान | + | |
− | + | ||
वो प्यार अब नही है कैसे बताऊं इसको | वो प्यार अब नही है कैसे बताऊं इसको | ||
− | + | आज तक भी दिल न वो दास्तान छोड़े | |
− | आज तक भी दिल | + | |
− | + | ||
झूठी सी चार बातें कहने की आरज़ू है | झूठी सी चार बातें कहने की आरज़ू है | ||
− | + | मेरी रूह से कहो तुम मेरी ज़ुबान छोड़े | |
− | मेरी रूह से कहो तुम मेरी ज़ुबान | + | |
− | + | ||
जीते जी ये चाहा हां उसकी सुन सकूँ मैं | जीते जी ये चाहा हां उसकी सुन सकूँ मैं | ||
+ | जो भी मुझे जला दे मेरे ये कान छोड़े | ||
− | + | छोटी सी जान दे दी कि वो सुकूं पाए | |
− | + | उसके मन को कैसे मन परेशान छोड़े | |
− | + | ||
− | छोटी सी जान दे दी | + | |
− | + | ||
− | उसके मन को कैसे मन परेशान | + | |
− | + | ||
दुनिया जहां तू जिस शख्स के लिए है | दुनिया जहां तू जिस शख्स के लिए है | ||
+ | तेरे लिए भी कैसे दुनिया जहान छोड़े | ||
− | + | दिल में है तेरी यादें आँखों में ख्वाब तेरे | |
− | + | मासूम जा रहा है तो कहाँ समान छोड़े | |
− | + | </poem> | |
− | दिल में तेरी यादें आँखों में ख्वाब तेरे | + | |
− | + | ||
− | मासूम जा रहा है तो कहाँ समान | + |
07:51, 21 फ़रवरी 2009 का अवतरण
वो शख्स अब मेरा पुराना मकान छोड़े
मेरे दिल से निकले मेरी ये जान छोड़े
दुश्मनों को मौका तब ही कहीं मिलेगा
मेरी ये जान पहले मेरा मेहरबान छोड़े
मेरी हर एक शह पर क़ब्ज़ा सा किया है
मेरी ज़मीन छोड़े न वो आसमान छोड़े
ख़ौफ़ भी दिया मुझे ज़िंदगी भी बख़्शी
सब तीर आजू बाजू मेरे तान तान छोड़े
वो प्यार अब नही है कैसे बताऊं इसको
आज तक भी दिल न वो दास्तान छोड़े
झूठी सी चार बातें कहने की आरज़ू है
मेरी रूह से कहो तुम मेरी ज़ुबान छोड़े
जीते जी ये चाहा हां उसकी सुन सकूँ मैं
जो भी मुझे जला दे मेरे ये कान छोड़े
छोटी सी जान दे दी कि वो सुकूं पाए
उसके मन को कैसे मन परेशान छोड़े
दुनिया जहां तू जिस शख्स के लिए है
तेरे लिए भी कैसे दुनिया जहान छोड़े
दिल में है तेरी यादें आँखों में ख्वाब तेरे
मासूम जा रहा है तो कहाँ समान छोड़े