भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चाँदनी / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदयप्रताप सिंह }} <poem> जब से सँभाला होश मेरी काव्य ...)
(कोई अंतर नहीं)

07:30, 26 फ़रवरी 2009 का अवतरण

जब से सँभाला होश मेरी काव्य चेतना ने
मेरी कल्पना में आती-जाती रही चाँदनी ।
आधी-आधी रात मेरी आँख से चुरा के नींद
खेत खलिहान में बुलाती रही चाँदनी ।
सुख में तो सभी मीत होते किन्तु दुख में भी
मेरे साथ साथ गीत गाती रही चाँदनी ।
जाने किस बात पे मैं चाँदनी को भाता रहा
और बिना बात मुझे भाती रही चाँदनी ।