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"बर्फीली सर्दी का दूसरा दिन / सुधा ओम ढींगरा" के अवतरणों में अंतर
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05:48, 27 फ़रवरी 2009 का अवतरण
सूरज ने अंगड़ाई ली
पहली किरण ने
अधखुली घुटी-घुटी
आँखों से
काँच बगीचे का नरीक्षण किया......
चकाचौंध से चुंधिया कर
उनींदी -उनींदी सी वह
फिर सूरज में सिमट गई
दिन भर दुबकी रही.......
एक म्यान में दो तलवारें कैसे रहतीं ?