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रसखान की रचनाएँ
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- मानुस हौं तो वही / रसखान
- या लकुटी अरु कामरिया / रसखान
- सेस गनेस महेस दिनेस / रसखान
- धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान
- कानन दै अँगुरी रहिहौं / रसखान
- मोरपखा मुरली बनमाल / रसखान
- कर कानन कुंडल मोरपखा / रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं / रसखान
- गावैं गुनी गनिका गन्धर्व / रसखान
- संकर से सुर जाहिं जपैं / रसखान
- रसखान के दोहे / रसखान