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"रंग में बिखरे हुए लफ्ज / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर

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1).पलक उठा के यूं ही
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एक.
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पलक उठा के यूँ ही
 
जब देखा उसने
 
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उभर गया
 
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नज़रों में
 
नज़रों में
 
और एक सपना
 
और एक सपना
जीने को यूं मिल गया..
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2).भरे कुछ रंग प्यार के
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दो.
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भरे कुछ रंग प्यार के
 
और कुछ रंग उस में उसने
 
और कुछ रंग उस में उसने
 
शायद विश्वास का मिलाया
 
शायद विश्वास का मिलाया
कहा जब आंखो में आँखे डाल कर
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कहा जब आँखों में आँखें डाल कर
 
कि अब या न उतरेगा ज़िंदगी से
 
कि अब या न उतरेगा ज़िंदगी से
 
तो लगा ..
 
तो लगा ..
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जो जानता है कि ..
 
जो जानता है कि ..
 
प्यार और विश्वास के रंग
 
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
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कभी ज़िंदगी में फीके नहीं पड़ते..
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तीन.
  
  
3).चाह नही है ..
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चाह नही है ..
 
कुछ और तुमसे पाने की
 
कुछ और तुमसे पाने की
 
सिर्फ़ चंद रंगो से ..
 
सिर्फ़ चंद रंगो से ..
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मीठा बोल सतरंगा ..
 
मीठा बोल सतरंगा ..
 
और महकते फूलों की
 
और महकते फूलों की
आंच सा हर पल ..
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आंच-सा हर पल ..
 
इस धड़कते दिल के ..
 
इस धड़कते दिल के ..
नाम कर देना!!
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नाम कर देना !
  
 
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18:36, 27 फ़रवरी 2009 का अवतरण

 


एक.

पलक उठा के यूँ ही
जब देखा उसने
उभर गया
इन्द्रधनुष
नज़रों में
और एक सपना
जीने को यूँ मिल गया..



दो.


भरे कुछ रंग प्यार के
और कुछ रंग उस में उसने
शायद विश्वास का मिलाया
कहा जब आँखों में आँखें डाल कर
कि अब या न उतरेगा ज़िंदगी से
तो लगा ..
एक यही सच्चा रंगरेज है
जो जानता है कि ..
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नहीं पड़ते..




तीन.


चाह नही है ..
कुछ और तुमसे पाने की
सिर्फ़ चंद रंगो से ..
यह आँचल मेरा रंग देना
एक प्यार का ,
मीठा बोल सतरंगा ..
और महकते फूलों की
आंच-सा हर पल ..
इस धड़कते दिल के ..
नाम कर देना !