"अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं / सौदा" के अवतरणों में अंतर
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+ | अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं | ||
+ | नूर१ पर तेरे मगस२ है वो जो परवाना नहीं | ||
− | + | अपनी तौबा ज़ाहिदा जुज़ हर्फ़े-रिन्दाना नहीं३ | |
− | + | ख़ुम४ हो यहाँ तो एहतियाजे-जामो-पैमाना५ नहीं | |
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− | अपनी तौबा ज़ाहिदा जुज़ हर्फ़े-रिन्दाना नहीं३ | + | ख़ाले-ज़ेरे-ज़ुल्फ६ पर जी मत जला ऐ मुर्ग़े-दिल७ |
− | ख़ुम४ हो यहाँ तो एहतियाजे-जामो-पैमाना५ नहीं | + | मान मेरा भी कहा ये दाम८ बे-दाना नहीं |
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− | ख़ाले-ज़ेरे-ज़ुल्फ६ पर जी मत जला ऐ मुर्ग़े-दिल७ | + | अपने काबे की बुज़ुर्गी९ शैख़ जो चाहे सो कर |
− | मान मेरा भी कहा ये दाम८ बे-दाना नहीं | + | अज-रु-ए-तारीख़१० तो बेश-अज-सनमख़ाना११ नहीं |
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− | अपने काबे की बुज़ुर्गी९ शैख़ जो चाहे सो कर | + | गर है गोशे-फ़ह्मे-आलम१२ वरना यूँ कहता है चुग़्द१३ |
− | अज-रु-ए-तारीख़१० तो बेश-अज-सनमख़ाना११ नहीं | + | थी न आबादी जहाँ ऐसा तो वीराना नहीं |
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− | गर है गोशे-फ़ह्मे-आलम१२ वरना यूँ कहता है चुग़्द१३ | + | बे-तजल्ली१४ तूर की किससे ये दिल गर्मी करे |
− | थी न आबादी जहाँ ऐसा तो वीराना नहीं | + | जल बुझे हर शमा पर अपनी वो परवाना नहीं |
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− | बे-तजल्ली१४ तूर की किससे ये दिल गर्मी करे | + | हाय किस साक़ी ने पटका इस तरह मीना-ए-दिल१५ |
− | जल बुझे हर शमा पर अपनी वो परवाना नहीं | + | हो जहाँ रेज़ा१६ न उसका कोई मैख़ाना नहीं |
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− | हाय किस साक़ी ने पटका इस तरह मीना-ए-दिल१५ | + | सुनके नासिह का सुख़न१७ मजनूँ ने ‘सौदा’ यूँ कहा |
− | हो जहाँ रेज़ा१६ न उसका कोई मैख़ाना नहीं | + | ऐसे अहमक़ से मुख़ातिब हूँ मैं दीवाना नहीं |
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− | सुनके नासिह का सुख़न१७ मजनूँ ने ‘सौदा’ यूँ कहा | + | '''शब्दार्थ: |
− | ऐसे अहमक़ से मुख़ातिब हूँ मैं दीवाना नहीं | + | ''१.प्रकाश २.मक्खी ३.शराबी शब्द के सिवा कुछ और नहीं |
− | + | ''४.शराब का घड़ा ५.जान और पैमाने की आवश्यकता | |
− | '''शब्दार्थ: | + | ''६.ज़ुल्फ़ के नीचे की त्वचा ७.दिल रूपी पक्षी ८.जाल |
− | ''१.प्रकाश २.मक्खी ३.शराबी शब्द के सिवा कुछ और नहीं | + | ''९.बड़ाई १०.इतिहास के आधार पर ११.बुतख़ाने से अधिक |
− | ''४.शराब का घड़ा ५.जान और पैमाने की आवश्यकता | + | ''(तात्पर्य यह है कि मुह्म्मद से पहले तक काबा भी एक |
− | ''६.ज़ुल्फ़ के नीचे की त्वचा ७.दिल रूपी पक्षी ८.जाल | + | ''बुतख़ाना ही था) १२.दुनिया की समझ की बात सुनने वाला |
− | ''९.बड़ाई १०.इतिहास के आधार पर ११.बुतख़ाने से अधिक | + | ''कान १३.उल्लू १४.आलोक के बिना १५.दिल रूपी सुराही |
− | ''(तात्पर्य यह है कि मुह्म्मद से पहले तक काबा भी एक | + | ''१६.टुकड़ा १७.नसीहत करने वाले का वचन''</poem> |
− | ''बुतख़ाना ही था) १२.दुनिया की समझ की बात सुनने वाला | + | |
− | ''कान १३.उल्लू १४.आलोक के बिना १५.दिल रूपी सुराही | + | |
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00:02, 28 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं
नूर१ पर तेरे मगस२ है वो जो परवाना नहीं
अपनी तौबा ज़ाहिदा जुज़ हर्फ़े-रिन्दाना नहीं३
ख़ुम४ हो यहाँ तो एहतियाजे-जामो-पैमाना५ नहीं
ख़ाले-ज़ेरे-ज़ुल्फ६ पर जी मत जला ऐ मुर्ग़े-दिल७
मान मेरा भी कहा ये दाम८ बे-दाना नहीं
अपने काबे की बुज़ुर्गी९ शैख़ जो चाहे सो कर
अज-रु-ए-तारीख़१० तो बेश-अज-सनमख़ाना११ नहीं
गर है गोशे-फ़ह्मे-आलम१२ वरना यूँ कहता है चुग़्द१३
थी न आबादी जहाँ ऐसा तो वीराना नहीं
बे-तजल्ली१४ तूर की किससे ये दिल गर्मी करे
जल बुझे हर शमा पर अपनी वो परवाना नहीं
हाय किस साक़ी ने पटका इस तरह मीना-ए-दिल१५
हो जहाँ रेज़ा१६ न उसका कोई मैख़ाना नहीं
सुनके नासिह का सुख़न१७ मजनूँ ने ‘सौदा’ यूँ कहा
ऐसे अहमक़ से मुख़ातिब हूँ मैं दीवाना नहीं
शब्दार्थ:
१.प्रकाश २.मक्खी ३.शराबी शब्द के सिवा कुछ और नहीं
४.शराब का घड़ा ५.जान और पैमाने की आवश्यकता
६.ज़ुल्फ़ के नीचे की त्वचा ७.दिल रूपी पक्षी ८.जाल
९.बड़ाई १०.इतिहास के आधार पर ११.बुतख़ाने से अधिक
(तात्पर्य यह है कि मुह्म्मद से पहले तक काबा भी एक
बुतख़ाना ही था) १२.दुनिया की समझ की बात सुनने वाला
कान १३.उल्लू १४.आलोक के बिना १५.दिल रूपी सुराही
१६.टुकड़ा १७.नसीहत करने वाले का वचन