भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शायर ए फ़ितरत की बातें उनके बस की ही नहीं! / धीरज आमेटा ‘धीर’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरज आमेटा ’धीर’ }} <poem> शायर ए फ़ितरत की बातें उन...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:58, 4 मार्च 2009 का अवतरण
शायर ए फ़ितरत की बातें उनके बस की ही नहीं,
जिनको तौफ़ीक़ ए सुखन-फ़हमी खुदा ने दी नहीं!
एक दिन गुल अपने हिस्से के लुटा कर देखिये,
मुद्दतों तक उन की बूँ हाथों से जायेगी नहीं!
डूब कर गहराई में जाने का जज़्बा चाहिये,
दौलत ए गौहर कभी साहिल पे हाथ आती नहीं!
फ़ासलों में हो गयी तब्दील जब हद से बढ़ी,
रिश्तों में नज़दिकियां तो हों मगर इतनी नहीं!
है दरख्त ए याद के साये तले राहत मगर,
राहतों की अब मुझे कोई तलब होती नहीं!
"धीर"! आईना था यूं ख़ामोश मेरे सामने,
एक भी ख़ूबी इसे जैसे नज़र आयी नहीं!