भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि / भूषण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंशु मालवीय }} साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=अंशु मालवीय
+
|रचनाकार=भूषण
 
}}
 
}}
 
साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि।
 
साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि।

23:03, 12 मार्च 2009 का अवतरण

साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि।

सरजा सिवाजी जंग जीवन चलत है।।

भूषन भनत नाद विहद नगारन के।

नदी नद मद गैबरन के रलत हैं।।

ऐल फैल खैल भैल खलक में गैल गैल,

गाजन की ठेल-पेल सैल उसलत हैं।

तारा सों तरनि घूरि धरा में लगत जिम,

धारा पर पारा पारावार ज्यों हलत हैं।