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"उनकी पराजय / हेमन्त जोशी" के अवतरणों में अंतर

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19:48, 15 मार्च 2009 के समय का अवतरण


वे खुश हैं कि समाजवाद पराजित हो रहा है
मैं खुश हूँ कि आदमी में अभी लड़ने का हौसला बाक़ी है

वे कहते हैं कहाँ है तुम्हारी कविता में छंद
कहाँ है तुक
कहाँ है लय
 
लय-तुक-छंद मैं नहीं जानता
कहाँ करता हूँ मैं कविता
मैं तो जीता हूँ स्वच्छंद
बोलता जाता हूँ निर्बंध।

मेरे वक्तव्यों में झलकती है उनकी पराजय
उनका भय
उनकी क्षय।