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"मृत्यु-5 / शुभाशीष चक्रवर्ती" के अवतरणों में अंतर

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शाम का भय फैल रहा है
 
शाम का भय फैल रहा है
 
अकेले कमरे से
 
अकेले कमरे से
मैं भाग रहा हू‘ं
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मैं भाग रहा हूँ
 
सूर्य का प्रकाश
 
सूर्य का प्रकाश
 
उस छोर तक पहुँचकर
 
उस छोर तक पहुँचकर

17:49, 23 मार्च 2009 का अवतरण

शाम का भय फैल रहा है
अकेले कमरे से
मैं भाग रहा हूँ
सूर्य का प्रकाश
उस छोर तक पहुँचकर
लौट रहा है
संयम शरीर छोड़ रहा है
तुम फिर याद आ रही हो