"मस्ते-सेहरो-तौबाकुने-शाम का हूँ मैं / सौदा" के अवतरणों में अंतर
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− | मस्ते-सेहरो-तौबाकुने-शाम का हूँ मैं | + | मस्ते-सेहरो-तौबाकुने-शाम का<ref>सुब् को मस्त और शाम को तौबा करने वाला</ref> हूँ मैं |
− | क़ाज़ी के गिरफ़्तार नित एलाम का हूँ मैं | + | क़ाज़ी के गिरफ़्तार नित एलाम का<ref>रोज़ की नसीहतों का</ref> हूँ मैं |
बंदा कहो, ख़ादिम कहो, चाकर कहो मुझको | बंदा कहो, ख़ादिम कहो, चाकर कहो मुझको | ||
− | जो कुछ कहो सो साक़ि-ए-गुलफ़ाम का हूँ मैं | + | जो कुछ कहो सो साक़ि-ए-गुलफ़ाम<ref>फूल जैसा साक़ी</ref> का हूँ मैं |
− | ख़िदमत से मुझे इश्क़ की है दिल से इदारत | + | ख़िदमत से मुझे इश्क़ की है दिल से इदारत<ref>इरादा</ref> |
− | नै मोतक़दे-कुफ़्र, न इस्लाम का हूँ मैं | + | नै मोतक़दे-कुफ़्र<ref>कुफ्र में विश्वास करने वाला</ref>, न इस्लाम का हूँ मैं |
− | नै फ़िक्र है दुनिया की न दीं का मुतलाशी | + | नै<ref>न तो</ref> फ़िक्र है दुनिया की न दीं<ref>दीन</ref> का मुतलाशी |
− | इस हस्ति-ए-मौहूम में किस काम का हूँ मैं! | + | इस हस्ति-ए-मौहूम<ref>अस्पष्ट अस्तित्व</ref> में किस काम का हूँ मैं! |
यकरंग हूँ, आती नहीं ख़ुश मुझको दोरंगी | यकरंग हूँ, आती नहीं ख़ुश मुझको दोरंगी | ||
− | मुनकिर सुख़नो-शे'र में दुश्नाम का हूँ मैं | + | मुनकिर<ref>इनकारी</ref> सुख़नो-शे'र में ईहाम<ref>अस्पष्टता</ref> का हूँ मैं |
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+ | मतलूब<ref>वांछित</ref> हुआ हक़ में नहीं अपने किसू<ref>पुरानी उर्दू में प्रयुक्त 'किसी'</ref> की | ||
+ | तालिब<ref>इच्छुक</ref> लबे-मज्जूब<ref>मज्जूब के होठों से</ref> से दुश्नाम का हूँ मैं | ||
बंदा है ख़ुदा का तो यक़ीं कर कि बुताँ का | बंदा है ख़ुदा का तो यक़ीं कर कि बुताँ का | ||
− | बंदा ब-जहाने-बेज़रो-बेदाम का हूँ मैं | + | बंदा ब-जहाने-बेज़रो-बेदाम<ref>दुनिया में बिना किसी मोल का बंदा</ref> का हूँ मैं |
− | है शीश-ए-मै ऐनके-पीरी मुझे 'सौदा' | + | है शीश-ए-मै<ref>मदिरा का प्याला</ref> ऐनके-पीरी<ref>बुढ़ापे की ऐनक</ref> मुझे 'सौदा' |
− | नज़्ज़ाराकुन अब शैब के अय्याम का हूँ मैं | + | नज़्ज़ाराकुन<ref>दर्शनमग्न</ref> अब शैब के अय्याम का<ref>बुढ़ापे के दिनों का</ref> हूँ मैं |
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10:48, 24 मार्च 2009 का अवतरण
मस्ते-सेहरो-तौबाकुने-शाम का<ref>सुब् को मस्त और शाम को तौबा करने वाला</ref> हूँ मैं
क़ाज़ी के गिरफ़्तार नित एलाम का<ref>रोज़ की नसीहतों का</ref> हूँ मैं
बंदा कहो, ख़ादिम कहो, चाकर कहो मुझको
जो कुछ कहो सो साक़ि-ए-गुलफ़ाम<ref>फूल जैसा साक़ी</ref> का हूँ मैं
ख़िदमत से मुझे इश्क़ की है दिल से इदारत<ref>इरादा</ref>
नै मोतक़दे-कुफ़्र<ref>कुफ्र में विश्वास करने वाला</ref>, न इस्लाम का हूँ मैं
नै<ref>न तो</ref> फ़िक्र है दुनिया की न दीं<ref>दीन</ref> का मुतलाशी
इस हस्ति-ए-मौहूम<ref>अस्पष्ट अस्तित्व</ref> में किस काम का हूँ मैं!
यकरंग हूँ, आती नहीं ख़ुश मुझको दोरंगी
मुनकिर<ref>इनकारी</ref> सुख़नो-शे'र में ईहाम<ref>अस्पष्टता</ref> का हूँ मैं
मतलूब<ref>वांछित</ref> हुआ हक़ में नहीं अपने किसू<ref>पुरानी उर्दू में प्रयुक्त 'किसी'</ref> की
तालिब<ref>इच्छुक</ref> लबे-मज्जूब<ref>मज्जूब के होठों से</ref> से दुश्नाम का हूँ मैं
बंदा है ख़ुदा का तो यक़ीं कर कि बुताँ का
बंदा ब-जहाने-बेज़रो-बेदाम<ref>दुनिया में बिना किसी मोल का बंदा</ref> का हूँ मैं
है शीश-ए-मै<ref>मदिरा का प्याला</ref> ऐनके-पीरी<ref>बुढ़ापे की ऐनक</ref> मुझे 'सौदा'
नज़्ज़ाराकुन<ref>दर्शनमग्न</ref> अब शैब के अय्याम का<ref>बुढ़ापे के दिनों का</ref> हूँ मैं