"उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ / अमीर मीनाई" के अवतरणों में अंतर
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+ | ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ | ||
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+ | मेहरबां होके बुलालो मुझे चाहो जिस वक्त | ||
+ | मैं गया वक़्त नहीं हूँ के आ भी न सकूँ | ||
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+ | डाल कर ख़ाक मेरे खून पे क़ातिल ने कहा | ||
+ | कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ | ||
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+ | ज़ब्त कमबख्त ने और आ के गला घोंटा है | ||
+ | के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ | ||
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+ | [ज़ब्त=सहनशीलता/Forbearance] | ||
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+ | ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना | ||
+ | क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी न सकूँ | ||
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+ | उस के पहलू में जो लेजा के सुला दूँ दिल को | ||
+ | नींद ऎसी उसे आए के जगा भी न सकूँ | ||
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+ | [पहलू=गोद/Lap ] | ||
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+ | नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे | ||
+ | सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ | ||
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+ | बेवफा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को | ||
+ | ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ | ||
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+ | इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर | ||
+ | अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ | ||
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+ | --- अमीर मिनाई | ||
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15:39, 24 मार्च 2009 का अवतरण
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
[ हसरत=इच्छा/Desire ]
मेहरबां होके बुलालो मुझे चाहो जिस वक्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के आ भी न सकूँ
डाल कर ख़ाक मेरे खून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ
ज़ब्त कमबख्त ने और आ के गला घोंटा है
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ
[ज़ब्त=सहनशीलता/Forbearance]
ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी न सकूँ
उस के पहलू में जो लेजा के सुला दूँ दिल को
नींद ऎसी उसे आए के जगा भी न सकूँ
[पहलू=गोद/Lap ]
नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ
बेवफा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ
इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ
--- अमीर मिनाई